आवाज़ आई कि घर में रहो और स्वस्थ रहो
नहीं तो कोरोना के गिरफ्त में आओ और दुख झेलो
लोगों ने आवाज़ सुनी और घरों में रहनें लगे
और ब्यस्त रहने के अपने तरीक़े ढूड़नें लगे
कुछ ने किताबें पढ़ी और आराम किया,
दूसरों ने कला बनाई और व्यायाम किया,
कुछ अपनी छाया से मिले, श्रृंगार और नृत्य किया
कुछ ने ईश्वर से प्रार्थना की और ध्यान किया
इस तरह लोग अपने घरों में रहना सीख गए
और धीरे धीरे कोरोना के कहर से मुक्त हुए
कुछ अज्ञानी जो घर में नहीं रहे वे लुप्त हुए
और पीछे अपने सुन्दर और सुघड़ पृथ्वी छोड़ गए
सारे प्रतिबंध और नियंत्रण अब हट चुके थे
और लोग फिर से मिलनें और जुड़ने लगे थे
कोरोना से हुए नुकसान ने सबको दुखी किया
विकास के विकल्पों का खोज फिर शुरू हुआ
के खेलों का कुछ ने इज़ाद किया
और होने के नए तरीके सीखे, और अभी भी थे। और गहराई से सुना।
कुछ ने ध्यान किया, , कुछ ने ।
।
और लोग अलग तरह से सोचने लगे। और लोग
ठीक हो गए।
और, अज्ञानी, खतरनाक, नासमझ और हृदयहीन तरीकों से
रहने वाले लोगों की अनुपस्थिति में, पृथ्वी ठीक होने लगी।
और जब खतरा गुजर गया, और ,
तो उन्होंने अपने नुकसान को दुःखी किया,
और नए विकल्प बनाए, और नई छवियों का सपना देखा,
और पृथ्वी को पूरी तरह से जीने और चंगा करने के नए तरीके बनाए, जैसे कि वे ठीक हो गए थे।
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