Sunday, 13 September 2020

अज:

आशा  

ज़िंदगी की दौड़ में, चाहे थोड़ा पीछे दौड़ो !
छोड़ो कुछ भी मगर, तुम आशा कभी ना छोडो.
आशा पर दुनिया कायम है, आशा से जीता इंसान,
आशा है जीवन की ज्योति, है यही मन का विज्ञान.
हो जाये हवा यदि प्रतिकूल, उसका रुख तुम मोड़ो,
छोडो कुछ भी तुम मगर, आशा कभी ना छोडो !!
आशा से तो बन जाते हैं बिगड़े सारे काम,
आशा थी शबररी को, जिससे मिले उसे श्री राम ,
हो जायेगे सपने पूरे आशा से अपना नाता जोड़ो ,
छोडो कुछ भी तुम मगर ,आशा कभी ना छोडो !!
आशा सबका मूल धर्म है, चाहे गीता हो या कुरान ,
आशा से तो मिल जाते है, पथर में भगवान ,
आशा की बस एक किरण से, भोग विघन करोड़ो,
छोडो कुछ भी तुम मगर, आशा कभी ना छोडो !!
अश्वस्थ न हो की  श्रम द्वारा  पूरे  होंगे  सारे  सपने
 कुछ बिखरेगें
ज़िंदगी की दौड़ में, चाहे थोड़ा पीछे दौड़ो !
आशा और श्रम करना कभी ना छोडो.
आशा पर दुनिया कायम है, आशा से जीता इंसान,
आशा है जीवन की ज्योति, है यही मन का विज्ञान.
हो जाये हवा यदि प्रतिकूल, उसका रुख तुम मोड़ो,
छोडो कुछ भी तुम मगर, आशा कभी ना छोडो !

  

No comments:

Post a Comment