बीता प्रहर
सागर के उस पार क्षितिज पर बीत गया एक और प्रहरलघु हुई जीवन की रेखा, बने अतीत अनेकों प्रिय क्षण
इतिहास के पन्नो पर, अंकित हुए नए कुछ विवरण
जग से मिला जो अनुभव जीवन का वह बना धरोहर ॥ सागर के …।
कलियाँ अब विकसित होकर उन्मुख हैं यौवन की ओर
मिलन तत्पर उन्मद भवरें झूम रहे है भाव बिभोर
मिलन तदअंतर निर्मित होगें नई आकृति और नए स्वर ॥ सागर के …।
सरिता का अतिशय जल सेतु के नीचे हुआ प्रवाहित
दुर्गम पथ पर चलती धारा बाधाओ से रही अप्रभावित
सिंधुमिलन की लिए लालसा सरिता हो रही अग्रसर ॥ सागर के...।
प्रहर कई बिते पथ पर लक्ष्य अभी भी दूर कहीं
चलना है कब तक युहीं पथिक को यह ज्ञात नहीं
एकाग्र किये मन शक्ति बटोरे बढ़ना है उसे निरन्तर ॥ सागर के …।
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