Sunday, 9 September 2018



  







उलझन  

क्यों  है  इतना  हर  पल उलझन।
सुलझ  न  पाये  जो  जीवन  भर॥
एक   समस्या  जब   तक   सुलझे।
कठिनाई    नई    आकर    उलझे॥
क्रम   यह  सदा   चलता   रहता।
संघर्ष   सजीव  आजीवन   रहता॥

जीवन  की है  बस   यही     दशा। 

बदलते    रहते  इसके  रंग   सदा ।। 

 

 


 

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